उत्तराखंड: एकल महिला योजना में उदासीनता, अब घर-घर जाकर कराएंगे आवेदन – अब तक सिर्फ 23 ने दिखाई रुचि

एकल महिला स्वरोजगार योजना में ‘पहले आओ, पहले पाओ’ की तर्ज पर लाभ देने की व्यवस्था थी, लेकिन अब तक सिर्फ 23 महिलाओं ने ही आवेदन किया है। इस योजना के तहत सरकार दो लाख रुपये तक का ऋण देती है, जिसमें 75 फीसदी तक की राशि माफ की जा सकती है।

“दो लाख का लोन, 75 फीसदी माफी” जैसी आकर्षक शर्तों के बावजूद एकल महिला स्वरोजगार योजना को राज्य में उम्मीद के मुताबिक प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है। इस योजना के तहत वर्तमान वित्तीय वर्ष में पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर दो हजार एकल महिलाओं को लाभ देना तय है, लेकिन 18 जून से अब तक केवल 23 आवेदन ही आए हैं।

 

हैरानी की बात यह है कि ये सभी आवेदन सिर्फ देहरादून, पौड़ी और नैनीताल जिलों से हैं, जबकि अन्य जिलों से एक भी आवेदन नहीं पहुंचा। 31 जुलाई की अंतिम तिथि नजदीक देख महिला सशक्तीकरण एवं बाल कल्याण विभाग ने सक्रिय रुख अपनाया है। विभाग की निदेशक रंजना राजगुरु ने सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और मिशन शक्ति से जुड़े कर्मियों को निर्देश दिए हैं कि वे एकल महिलाओं के घर-घर जाकर योजना की जानकारी दें और उन्हें जागरूक करें।

प्रत्येक जिले में 100 से 150 आवेदन कराने का लक्ष्य दिया

विभागीय अधिकारियों का मानना है कि एकल महिला स्वरोजगार योजना में कम आवेदन आने की एक प्रमुख वजह पंचायत चुनाव भी हो सकते हैं। आचार संहिता को ध्यान में रखते हुए अब विभाग ने नए लक्ष्य तय किए हैं—बड़े जिलों से कम से कम 150 और छोटे जिलों से 100 आवेदन प्राप्त करना अनिवार्य किया गया है।

 

इसके लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और मिशन शक्ति के कर्मचारी समाज कल्याण विभाग में पंजीकृत विधवा और निराश्रित महिलाओं से सीधे संपर्क करेंगे। वे महिलाओं को योजना की जानकारी देकर आवेदन के लिए प्रेरित करेंगे।

 

उल्लेखनीय है कि योजना की शुरुआत के समय महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्या ने इस वर्ष दो हजार महिलाओं को योजना का लाभ देने का लक्ष्य रखा था। साथ ही, अगले वर्ष लाभार्थियों की संख्या बढ़ाने की भी बात कही थी। लेकिन शुरुआत में ही योजना को लेकर महिलाओं में रुचि कम दिखने पर विभागीय निदेशक ने कार्मिकों को घर-घर जाकर प्रचार-प्रसार करने का निर्देश दिया है।

यह है पात्रता

योजना के तहत महिलाएं मनचाहा व्यवसाय सिर्फ 25 हजार की रकम से शुरू कर सकती हैं बाकी के एक लाख 75 हजार रुपये सरकार अनुदान के रूप देगी। उत्तराखंड की मूल या स्थायी महिला जिनकी उम्र 21 से 50 वर्ष के बीच हो और पारिवारिक आय 72 हजार रुपये प्रतिवर्ष से अधिक न हो योजना का लाभ उठा सकती हैं।