प्रदेश में पहली बार मानसिक स्वास्थ्य नियमावली लागू हुई

सरकार ने 2025 तक उत्तराखंड को नशामुक्त करने का लक्ष्य रखा है। नशे से पीड़ित लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने और पुनर्वास करने के लिए राज्य भर में नशा मुक्ति केंद्रों को सफलतापूर्वक बनाया जा रहा है।

प्रदेश में पहली बार मानसिक स्वास्थ्य नियमावली लागू हुई है, जो बेहतर इलाज और मरीजों का उत्पीड़न रोका है। नशामुक्ति केंद्रों में मरीज को भर्ती करने से पहले उसे एक चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। नियमावली के तहत प्रदेश में अब तक 110 नशामुक्त केंद्रों ने पंजीकरण के लिए आवेदन किया है।

उत्तराखंड में नशे की तस्करी और नशे की व्यवस्था को समाप्त करने के लिए धामी सरकार कठोर कार्रवाई कर रही है। प्रदेश में मानसिक स्वास्थ्य नियमावली लागू की गई है, जो नशामुक्ति केंद्रों को संचालित करेगा। सरकार ने वर्ष 2025 तक उत्तराखंड को दवा से मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। नशे से पीड़ित लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने और पुनर्वास करने के लिए राज्य भर में नशा मुक्ति केंद्रों को सफलतापूर्वक बनाया जा रहा है।

वर्तमान में चार संयुक्त पुनर्वास केंद्र एडिक्ट्स के लिए काम कर रहे हैं। राज्य सरकार ने समाज के कई वर्गों में नशे के बुरे प्रभावों को लेकर अभियान चलाया है, खासकर युवाओं में। ऐसे में नशे की आदत डालने वाले लोगों को काउंसिलिंग और चिकित्सा के माध्यम से नशे से दूर किया जाएगा।

प्रदेश में ऐसे 11.70 लाख

उत्तराखंड में भी युवाओं में नशे की प्रवृत्ति एक प्रमुख समस्या के रूप में उभर कर सामने आ रही है। जिसका उनके मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की 2001 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में मानसिक रोग से ग्रस्त व्यक्तियों का औसत कुल आबादी को 10 प्रतिशत है। इस रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड में 11.70 लाख मानसिक रोगियों का अनुमान है।

गढ़वाल और कुमाऊं में 100 बेड के नशा मुक्ति केंद्र बनाने की योजना प्रदेश सरकार ने नशे के आदी हो चुके लोगों के इलाज के लिए 100 केंद्र बनाने की योजना बनाई है। सेलाकुई अभी भी राज्य का एकमात्र मानसिक रोग अस्पताल है।

प्रदेश सरकार नशामुक्ति के लिए बेहतर सेवाओं और इलाज की व्यवस्था कर रही है, जिसमें टेली काउंसिलिंग की सुविधा शामिल है। नशामुक्त करने के लिए टेली काउंसिलिंग भी उपलब्ध है। टेली मानस हर दिन मानसिक स्वास्थ्य सेवा प्रदान करता है। इसके लिए 14416 टोल फ्री नंबर और 18008914416 है।

मानसिक स्वास्थ्य नियमावली का उल्लंघन करने पर दो लाख रुपये की जेल और पांच लाख रुपये तक की सजा हो सकती है। नियमों का उल्लंघन पहली बार करने पर पांच से पच्चीस हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा; दूसरी बार करने पर दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा और एक से अधिक बार करने पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।

उत्तराखंड को नशामुक्त राज्य बनाने का प्रयास जारी है। बिना पंजीकरण के चलने वाले नशा मुक्ति केंद्रों पर मानसिक स्वास्थ्य नियमावली के तहत कठोर कार्रवाई की जाएगी। अब तक, विभाग को राज्य भर से 110 केंद्रों से पंजीकरण के लिए आवेदन मिले हैं। इन केंद्रों को जल्द ही निरीक्षण किया जाएगा।