भू-कानून की कमी से बाहरी फाइनेंसर्स और प्रॉपर्टी डीलर्स ने बनाया सिंडिकेट, खरीददार हुए ठगे

बाहरी लोगों की अज्ञानता का लाभ उठाकर उन्हें उच्च कीमतों पर कृषि भूमि को रिहायशी बताकर बेचा जा रहा है। इस खेल में खरीदार और काश्तकार दोनों का शोषण हो रहा है।

राज्य में कठोर भू-कानून की कमी के कारण कृषि भूमि की खरीद-फरोख्त से बाहरी राज्यों के फाइनेंसर और प्रॉपर्टी डीलर्स का एक सिंडिकेट बन गया है। इस कारण, जमीनों से जुड़ी धोखाधड़ी के लाखों और करोड़ों रुपये के मामले लगातार सामने आ रहे हैं।

ये फाइनेंसर गांवों में काश्तकारों से उनकी कृषि भूमि की बेहद कम कीमत लगाकर महज 10 प्रतिशत कीमत अग्रिम बयाना देते हैं। फिर, 100 रुपये के स्टांप पेपर पर अपनी मनमर्जी का एग्रीमेंट करवा लेते हैं, जिसमें स्पष्ट लिखा होता है कि सौदा करने वाला तीन या चार महीने में बाकी की रकम काश्तकार को देगा।

वे यह शर्त भी रखते हैं कि उनकी भूमि की रजिस्ट्री अलग-अलग टुकड़ों में किसी अन्य के नाम पर कराने के लिए स्वतंत्र रहेंगे। इस प्रकार, बाहरी लोगों की अज्ञानता का फायदा उठाकर कृषि भूमि को रिहायशी बताकर ऊंचे दामों पर बेचा जा रहा है। इस खेल में खरीदार और काश्तकार दोनों का शोषण हो रहा है।

दंपती कागजों पर एक-दूसरे से अलग दिखाते, जमीन अगल-बगल लेते

 

तमाम रजिस्ट्री की जांच की जाए तो पता चलेगा कि एक ही परिवार में पति-पत्नी और बच्चों ने कागजों पर खुद को अलग या संबंध विच्छेद बताकर जमीनें अपने नाम पर खरीदी है। लेकिन उनके प्लॉट अगल-बगल या एक ही खसरे में मिलेंगे। इस तरह से बड़ी धांधलियां हैं, जिनकी आसानी से जांच हो सकती है। -एडवोकेट, अराधना रतूड़ी चुतर्वेदी