Uttarkashi Disaster: “घर पहुंचकर क्या कहूंगा…” टूटकर रोए बिहार के आनंद शर्मा, खीर गंगा की लहरों में खो गए अपने

बिहार के बेतिया जिले के आनंद शर्मा ने धराली आपदा में अपने कई परिजनों को खो दिया, अब उनके पास सिर्फ आंसू और गम रह गया है।

“गंगा मैया ने हमें बचाया है…” यह कहते-कहते बिहार के बेतिया जिले के पुरुषोत्तमा गांव के आनंद शर्मा की आंखें लगातार नम हो जाती हैं। 5 अगस्त को उत्तरकाशी जिले के धराली में खीर गंगा के प्रचंड प्रवाह ने उनके सामने ही उनका सब कुछ छीन लिया।

 

आनंद बताते हैं कि वे और उनके चाचा तो किसी तरह बच गए, लेकिन उनके फूफा देशराज शर्मा और उनके दो बेटे अनिल शर्मा व सुशील शर्मा का अब तक कोई पता नहीं है। उस दिन बारिश हो रही थी, इसलिए फूफा ने उन्हें और चाचा श्याम शर्मा को पास के गांव में लकड़ी का काम करने भेज दिया था, जबकि वे खुद दोनों बेटों के साथ कमरे में ही थे।

 

दोपहर होते-होते बारिश तेज हो गई और अचानक खीर गंगा का पानी मलबा व पत्थर बहाते हुए तेज रफ्तार से उमड़ पड़ा। जब वे बारिश में भीगते हुए कमरे की ओर लौट रहे थे, तो उन्होंने यह खतरनाक मंजर देखा। घबराकर वे और उनके चाचा, बाकी लोगों के साथ, तुरंत जंगल की ओर भाग गए।

गंगा मैया ने हमें बचा लिया, नहीं तो हम भी… यह कहते-कहते आनंद की आवाज भर्रा जाती है। बताया तीन-चार घंटे उन्होंने जंगल में बिताए और रात में धराली गांव में वापस आ गए।

अगले दिन जब वे धराली बाजार लौटे, तो नज़ारा दिल दहला देने वाला था। मकान, दुकानें, होटल और खेत सभी मलबे में समा चुके थे। जहां वह फूफा के साथ रहते थे, वहां अब सिर्फ मलबे का ढेर बचा था।

“अब घर जाकर मां और बुआ को क्या कहूंगा…” यह कहते-कहते आनंद शर्मा रो पड़ते हैं। वे बताते हैं कि चार दिन तक वह और उनके चाचा धराली गांव में ही ठहरे रहे। फूफा और दोनों भाइयों को आसपास ढूंढने की हर संभव कोशिश की, लेकिन हर जगह से सिर्फ निराशा ही मिली।

स्थानीय लोगों ने भोजन-पानी दिया। आनंद और उसके चाचा को शनिवार को धराली से हेली रेस्क्यू कर मातली हैलिपैड लाकर उनके गंतब्य को भेजा गया।