उत्तराखंड: योग नीति के क्रियान्वयन को लेकर एसओपी तैयार करेगी सरकार, शोध परियोजनाओं को मिलेगा अनुदान

उत्तराखंड सरकार ने राज्य को योग और वेलनेस की वैश्विक राजधानी बनाने के उद्देश्य से पहली बार योग नीति को मंजूरी दी है। अब इस नीति को जमीन पर उतारने के लिए दिशा-निर्देश तैयार किए जा रहे हैं।
उत्तराखंड में योग और वेलनेस को बढ़ावा देने के लिए सरकार जल्द ही योग नीति के तहत स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) तैयार करेगी। आयुष विभाग इस नीति को लागू करने के लिए नियमों का मसौदा बना रहा है। राज्य सरकार ने हाल ही में प्रदेश को योग और वेलनेस की वैश्विक राजधानी के रूप में विकसित करने की दिशा में पहली योग नीति को मंजूरी दी है। इस नीति को धरातल पर उतारने के लिए दिशा-निर्देशों की रूपरेखा बनाई जा रही है।
नई नीति के तहत योग और ध्यान केंद्र खोलने पर पर्वतीय क्षेत्रों में 50% या अधिकतम 20 लाख रुपये और मैदानी क्षेत्रों में 25% या अधिकतम 10 लाख रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। साथ ही, राज्य में चल रहे होमस्टे में भी योग केंद्र शुरू किए जा सकेंगे। जागेश्वर, मुक्तेश्वर, व्यास घाटी, टिहरी झील और कोलीढेक झील को योग हब के रूप में विकसित करने की योजना है।
योग नीति के अनुसार, सभी योग केंद्रों का पंजीकरण अनिवार्य होगा। इसके लिए एक ऑनलाइन योग प्लेटफार्म तैयार किया जाएगा, क्योंकि अभी तक प्रदेश में योग केंद्रों के पंजीकरण की कोई व्यवस्था नहीं है। इसके अलावा, योग और वेलनेस से जुड़े कामकाज को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए एक अलग योग निदेशालय भी स्थापित किया जाएगा।
शोध के लिए भी मिलेगा अनुदान
योग नीति में ध्यान, योग और प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में शोध को बढ़ावा देने के लिए अधिकतम 10 लाख रुपये तक की ग्रांट का प्रावधान किया गया है। यह सहायता विश्वविद्यालयों, शोध संस्थानों, स्वास्थ्य संगठनों, आयुर्वेदिक संस्थाओं और एनजीओ को दी जाएगी।
इसके अलावा, राज्य में पहले से संचालित होमस्टे, रिसॉर्ट, होटल, स्कूल और कॉलेजों में स्थापित किए जा रहे योग केंद्रों में नियुक्त योग प्रशिक्षकों को प्रति सत्र 250 रुपये की दर से सरकार प्रतिपूर्ति देगी।
योग नीति को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए विस्तृत गाइडलाइन तैयार की जा रही है। इस पहल से उत्तराखंड को वैश्विक योग और वेलनेस डेस्टिनेशन के रूप में पहचान दिलाने में मदद मिलेगी।
— दीपेंद्र चौधरी, सचिव, आयुष