गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर अब घोड़ा-खच्चरों की आवाजाही फिर से शुरू

31 जुलाई को बादल फटने के कारण पैदल मार्ग पर आई आपदा से गौरीकुंड से केदारनाथ तक घोड़ा-खच्चरों का संचालन बंद हो गया था, जिससे धाम में राशन और अन्य जरूरी सामान नहीं पहुंच पा रहा था।

गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर अब घोड़ा-खच्चरों की आवाजाही फिर से शुरू हो गई है। सोमवार को 20 से अधिक घोड़ा-खच्चरों के जरिए राशन और अन्य जरूरी सामान धाम पहुंचाया गया। जल्द ही पैदल मार्ग से यात्रा शुरू करने की तैयारी की जा रही है।

31 जुलाई को बादल फटने से पैदल मार्ग पर आई आपदा के कारण गौरीकुंड से केदारनाथ के लिए घोड़ा-खच्चरों का संचालन बंद हो गया था। इस वजह से धाम में राशन और अन्य जरूरी सामान नहीं पहुंच पा रहा था।

सोमवार को गौरीकुंड से घोड़ा-खच्चरों के माध्यम से राशन, सब्जियां और अन्य जरूरी सामान केदारनाथ भेजा गया। घोड़ा-खच्चर सुबह 5 बजे रवाना हुए और दोपहर तक धाम पहुंच गए। पैदल मार्ग पर घोड़ा-खच्चरों की आवाजाही शुरू होने के बाद अब पुनर्निर्माण कार्यों के लिए सामग्री भी धाम पहुंचाई जा सकेगी, जिससे कार्यों में फिर से तेजी आएगी।

29 स्थानों पर क्षतिग्रस्त हो गया था हाईवे

जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने बताया कि गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग आपदा के कारण 29 स्थानों पर गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गया था। एक अगस्त से इस क्षतिग्रस्त मार्ग की मरम्मत का कार्य शुरू किया गया था। लोक निर्माण विभाग ने 270 मजदूरों की सहायता से 25 दिनों की कड़ी मेहनत के बाद इस मार्ग को फिर से चलने लायक बनाया। उन्होंने बताया कि डीएम सौरभ गहरवार के मार्गदर्शन में सुरक्षित पैदल यात्रा के लिए ठोस इंतजाम किए जा रहे हैं। रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग पर सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच पांच किलोमीटर के क्षेत्र में क्षतिग्रस्त सड़क को ठीक करने का काम तेजी से जारी है।