हरिद्वार: पतंजलि विश्वविद्यालय में आपदा प्रबंधन और औषधि पर मंथन शुरू, कुलाधिपति बाबा रामदेव ने जताई भविष्य की बड़ी उम्मीदें

विश्वविद्यालय में ‘आपदा चिकित्सा, प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन’ के लिए एक अंतरराष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना और शुरुआत की गई।
पतंजलि विश्वविद्यालय में ‘जलवायु परिवर्तन, आपदा प्रबंधन और आपदा चिकित्सा’ विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला की शुरुआत शनिवार को हुई। इस कार्यक्रम में चार देशों के प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया। स्पेन के प्रो. रूबेन, इटली से विश्व बैंक के आपदा चिकित्सा समूह के प्रमुख प्रो. रोबेर्टो मुगावेरो, नॉर्वे विश्वविद्यालय के प्रो. बी. सितौला और नेपाल आपदा प्रबंधन केंद्र के प्रो. बी. अधिकारी ने कार्यशाला में भाग लिया।
पतंजलि विश्वविद्यालय में ‘आपदा चिकित्सा, प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन’ विषय पर अंतरराष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना और इसका शुभारंभ किया गया। इसके साथ ही विश्वविद्यालय में पेटेंट सेल की भी शुरुआत हुई। उद्घाटन समारोह में विश्वविद्यालय के कुलाधिपति स्वामी रामदेव ने कहा कि यह केंद्र भविष्य में वैश्विक स्तर पर आपदाओं और उनसे होने वाले संकटों से निपटने में मददगार साबित होगा।
विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र भविष्य में वैश्विक स्तर पर आपदा प्रबंधन और जनहित से जुड़ी योजनाओं के लिए एक संगठित प्रयास करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि आपदा प्रबंधन और जनकल्याण के क्षेत्र में भारत की प्राचीन परंपराएं हमेशा से मार्गदर्शन करती रही हैं।
यूकॉस्ट के महानिदेशक डॉ. दुर्गेश पंत ने कहा कि आपदा प्रबंधन भारतीय संस्कृति के प्राकृतिक तंत्र का हिस्सा है। उन्होंने यह जोर दिया कि आधुनिक विज्ञान, तकनीक और सकारात्मक सोच के मेल से आपदाओं और उनसे होने वाली कठिनाइयों का प्रभावी रूप से सामना किया जा सकता है।
वर्ल्ड बैंक के भारत प्रतिनिधि डॉ. आशुतोष मोहंती ने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय दक्षिण एशिया का पहला संस्थान है, जहां डिजास्टर मेडिसिन के क्षेत्र में गंभीर और व्यवस्थित प्रयास शुरू हुए हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय की इस पहल की सराहना करते हुए यह घोषणा की कि वर्ल्ड बैंक की ओर से छात्रों को आपदा प्रबंधन और डिजास्टर मेडिसिन में स्कॉलरशिप, फेलोशिप, पीएचडी रिसर्च और स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम में भाग लेने का अवसर मिलेगा।
इस अवसर पर पतंजलि विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. सत्येन्द्र मित्तल, मुख्य वन संरक्षक समीर सिन्हा, आईटीबीपी के प्रतिनिधि दीपक कुमार पांडे, कुलानुशासिका प्रो. डॉ. देवप्रिया, प्रतिकुलपति प्रो. मयंक कुमार अग्रवाल, कुलसचिव आलोक कुमार सिंह, कुलानुशासक आर्षदेव, डीन अकादमिक डॉ. ऋत्विक बिसारिया, डॉ. अनुराग वार्ष्णेय, डॉ. वेदप्रिया सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।