धामी कैबिनेट विस्तार: मंत्री पद के लिए कई नाम चर्चा में, पांच दावेदारों में से किसी की किस्मत खुलने के आसार

अगर भाजपा केंद्रीय नेतृत्व और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अनुभव को प्राथमिकता देते हैं, तो पांच वरिष्ठ विधायकों में से किसी एक को मौका मिल सकता है, जो पहले कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं।
धामी मंत्रिमंडल में एक और पद खाली होने के बाद नए मंत्रियों को लेकर कई नामों की चर्चा चल रही है। यदि भाजपा केंद्रीय नेतृत्व और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अनुभव को प्राथमिकता देते हैं, तो पूर्व कैबिनेट मंत्री रह चुके पांच वरिष्ठ विधायकों में से किसी एक को मौका मिल सकता है।
त्रिवेंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे मदन कौशिक का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है। मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले प्रेमचंद अग्रवाल हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि कौशिक भी इसी संसदीय क्षेत्र से आते हैं और वरिष्ठ विधायकों में गिने जाते हैं। पूर्व कैबिनेट मंत्रियों में दूसरा नाम खजानदास का है, जो अनुसूचित जाति वर्ग से आते हैं और पूर्व में भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। तीसरे पूर्व कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडेय हैं, जो गदरपुर से विधायक हैं।
चौथे पूर्व कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत हैं, जो नैनीताल जिले के कालाढुंगी से विधायक हैं। हालांकि, उनकी उम्र को देखते हुए मंत्री पद के लिए चुनौतियां हो सकती हैं। पांचवें पूर्व कैबिनेट मंत्री बिशन सिंह चुफाल हैं, जो भाजपा के सबसे वरिष्ठ विधायकों में से एक माने जाते हैं।
वरिष्ठ विधायकों के नामों की भी चर्चा
अनुभवी विधायकों के साथ-साथ भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं के नाम भी चर्चा में हैं। इनमें वरिष्ठ विधायक मुन्ना सिंह चौहान का नाम प्रमुख है, जिनका मंत्री पद के लिए कई बार जिक्र होता रहा है। दूसरे वरिष्ठ विधायक विनोद चमोली भी संभावित दावेदारों में शामिल हैं। हरिद्वार संसदीय क्षेत्र से आदेश चौहान और प्रदीप बतरा के नामों की चर्चा हो रही है। इसके अलावा, विधायक सहदेव पुंडीर, उमेश शर्मा काऊ, पौड़ी संसदीय क्षेत्र से दिलीप सिंह रावत, भरत सिंह चौधरी और अनिल नौटियाल भी संभावित नामों में हैं। पहली बार विधायक बने शिव अरोड़ा भी सुर्खियों में हैं।
क्षेत्रीय, जातीय समीकरण बनेगा आधार
भाजपा सूत्रों और राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बेशक पार्टी में अनुभवी और खांटी विधायकों की लंबी कतार है, लेकिन किस्मत उसी की चमकेगी जो क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों की कसौटी पर खरा उतरेगा। बता दें कि प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे के बाद धामी कैबिनेट में पांच कुर्सियां खाली हैं।