रुद्रप्रयाग के खलिया गांव में पांच वर्षीय एक बच्चा एक गुलदार से घायल
गुलदार के हमले से बच गया एक बच्चा। अब उसकी जान खतरे से बाहर है। लोग दहशत में हैं क्योंकि गुलदार के हमले लगातार बढ़ रहे हैं।
रुद्रप्रयाग के खलिया गांव में पांच वर्षीय एक बच्चा एक गुलदार से घायल हो गया। बच्चे के हाथों, पैरों और सिर में गहरे जख्म हैं। बच्चे को अस्पताल में इलाज मिल रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि बच्चे की स्थिति खतरनाक नहीं है। उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में, जहां 71 प्रतिशत से अधिक वन क्षेत्र है, पिछले कुछ समय में गुलदार का आतंक बढ़ा है।
पालतू पशुओं, महिलाओं और बच्चों को मार डालता है अब गुलदार घर में घुसकर बच्चों को उठा रहा है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चे कई दिन स्कूल नहीं जा पाते हैं। कई गांव सिर्फ इसलिए खाली हो गए कि उनमें रहने वाले लोग गुलदार नहीं बनना चाहते थे। प्रदेश में गुलदार की संख्या इतनी बढ़ गई है कि वे भोजन और पानी की तलाश में जंगल से बाहर रिहायशी इलाकों में जा रहे हैं।
वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 3115 गुलदार हैं, लेकिन जानकारों का मानना है कि इससे कहीं अधिक है। गुलदार खूंखार और चालाक होता है और अपना शिकार बहुत चालाकी से चुनता है।
2000 से अब तक गुलदार के हमले में 514 लोग मारे गए।
2023 तक प्रदेश में 40 लोग वन-मानव संघर्ष में मारे गए। गुलदार ने 13 लोगों को मार डाला। मानव और वन्यजीवों के बीच बढ़ते संघर्ष से दोनों पक्ष प्रभावित हो रहे हैं। इस दौरान 82 गुलदार भी मर गए हैं। इससे वन महकमा और विशेषज्ञ चिंतित हैं। 2000 से अब तक, गुलदार के हमले में 514 लोग मर गए हैं और 1868 घायल हुए हैं। 2000 से अब तक, 1741 गुलदारों की मौत का रिकॉर्ड है।
रुद्रप्रयाग : 2015 से 2023 तक, गुलदार ने आठ साल में सात लोगों को मार डाला। 2015 में पूलन मल्ला में गुलदार ने एक व्यक्ति को मार डाला, और 2020 में बांसी, पपडासू और धारी गांव में भी गुलदार ने एक व्यक्ति को मार डाला। 2021 में सिल्ला बमणगांव, 2022 में बस्टा और 2023 में गहडखाल भी हुए।