उत्तराखंड राज्य बनने के एक दशक, एनकाउंटरों ने कई अपराधियों को मार डाला
उत्तराखंड राज्य बनने के एक दशक तक, एनकाउंटरों ने कई अपराधियों को मार डाला था। एनकाउंटर के डर से कई बदमाश सरेंडर कर गए। चर्चित एनकाउंटर के बारे में खबर में पढ़ें..।
अविभाजित यूपी और राज्य बनने के एक दशक तक, तराई भाबर में एनकाउंटरों ने कई बदमाशों को मार डाला। एनकाउंटर के डर से कई बदमाश सरेंडर कर गए। रणवीर के एनकाउंटर ने पुलिस की छवि को खराब कर दिया, इसलिए एनकाउंटर शब्द पुलिस से ही गायब हो गया। बाबा तरसेम सिंह हत्याकांड में आरोपी अमरजीत के एनकाउंटर की गूंज अब चौबीस वर्ष नौ महीने बाद सुनाई दी है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, 90 के दशक में तराई आतंकवाद से घिरे हुए थे। आतंकवादियों ने सीओ और कई लोगों को मार डाला था। 1991 में, परमजीत सिंह पम्मा और यदुवेंदर सिंह यादु को खटीमा के मझौला बिरिया में पुलिस ने एनकाउंटर में मार डाला था। पंजाब सरकार ने यादु, जो सैकड़ों लोगों की हत्या का आरोप लगा था, पर 20 लाख से अधिक का इनाम घोषित किया था।
1991 में जसपुर में आतंकवादी बलविंदर सिंह बिंदा और 1993 में पंतनगर क्षेत्र में आतंकवादी हीरा सिंह का एनकाउंटर हुआ था। आतंकवाद का अंत होने के कुछ साल बाद अपराधों की दर बढ़ी। यूपी से अलग होने के बाद नैनीताल और ऊधमसिंहनगर में बड़े अपराधी और माफिया डान तक सक्रिय हो गए थे। 2005 से 2009 तक दोनों जिलों में कई बदमाशों के एनकाउंटर हुए, लेकिन रणवीर एनकाउंटर में पुलिसकर्मियों को जेल में डालने के बाद एनकाउंटर पर रोक लगा दी गई।
रिटायर्ड सीओ जेसी पाठक बताते हैं कि पहले लूट, डकैती और हत्याओं के केस बहुत अधिक होते थे और सजा बहुत कम मिलती थी। बदमाशों को एनकाउंटर से घृणा थी। लेकिन न्यायालयों की कठोर नीति के कारण बदमाशों को कड़ी सजाएं मिल रही हैं।
केस नंबर 1:
2005 में दो बदमाश नैनीताल जेल से भाग निकले। तत्कालीन एसएसपी के निर्देश पर पुलिस टीम ने बदमाशों को ढूंढ निकाला। दोनों बदमाशों को मुक्तेश्वर में पुलिस ने मार डाला।
केस नंबर दो:
2006 में भीमताल के एक संपत्ति डीलर से रंगदारी मांगने और बैंक लूट सहित कई संगीन आरोपों में शामिल हल्द्वानी के एक बदमाश को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। खैरना रानीखेत रोड पर एक मुठभेड़ हुई, जिसमें बदमाश मारा गया था।
केस नंबर तीन:
2008 में हल्द्वानी में एक पेट्रोल पंप पर डकैती हुई। डकैती करने वाले तीन अपराधी रुद्रपुर में छिपे हुए थे। हल्द्वानी के एक अत्यंत ईमानदार इंस्पेक्टर ने टीम के साथ तीनों बदमाशों को मार डाला था।
केस नंबर चार-
जनवरी 2009 में झनकईयां थाना क्षेत्र में एक महिला की हत्या करने के आरोपी ने एक युवती को गोली मार दी। इस पर उसे पुलिस ने घेर लिया था। पुलिस ने सनकी का भीड़ के सामने ही एनकाउंटर कर दिया था। यह एनकाउंटर काफी चर्चित रहा था।
केस नंबर पांच- वर्ष
2005 में गूलरभोज के बौर जलाशय के पास डकैती के साथ दुष्कर्म करने वाले एक डकैत की पुलिस ने घेराबंदी की थी। पुलिस टीम पर डकैत ने फायर किए थे। इसके बाद पुलिस ने एनकाउंटर में डकैत को मार गिराया था।