उत्तराखंड: ग्राम, क्षेत्र और जिला पंचायतों में फिलहाल नहीं होगी नियुक्ति, अध्यादेश अटका तकनीकी अड़चन में

ग्राम एवं क्षेत्र पंचायत प्रशासकों का कार्यकाल समाप्त हो चुका था, वैसे ही अब जिला पंचायत प्रशासकों की अवधि भी पूरी हो गई है। राजभवन से अध्यादेश पारित करने में तकनीकी समस्याएँ आ सकती हैं।
प्रदेश में फिलहाल ग्राम, क्षेत्र और जिला पंचायतों की सीटें खाली रहेंगी, क्योंकि इनमें नियुक्त प्रशासकों का कार्यकाल पूरा हो चुका है। अब दोबारा प्रशासक नियुक्त करने के लिए पंचायती राज एक्ट में संशोधन जरूरी है, लेकिन इसमें हरिद्वार से जुड़ी तकनीकी अड़चन के कारण राजभवन से अध्यादेश जारी होना मुश्किल हो सकता है।
पंचायती राज एक्ट के अनुसार, अगर किसी कारण पांच साल के भीतर पंचायत चुनाव नहीं हो पाते, तो सरकार अधिकतम छह महीने के लिए प्रशासक नियुक्त कर सकती है। इसी प्रावधान के तहत राज्य में हरिद्वार को छोड़कर बाकी सभी ग्राम, क्षेत्र और जिला पंचायतों में छह महीने के लिए प्रशासक लगाए गए थे, लेकिन अब उनका कार्यकाल समाप्त हो गया है।
इसके बावजूद अब तक पंचायतों के चुनाव नहीं हो पाए हैं। ऐसे में अब दोबारा प्रशासकों की नियुक्ति की तैयारी की जा रही है। इसके लिए पंचायती राज एक्ट में संशोधन प्रस्तावित है। हालांकि, इससे जुड़ा अध्यादेश जब पहले राजभवन भेजा गया था, तो विधायी विभाग ने हरिद्वार से संबंधित मामले का हवाला देते हुए यह कहते हुए उसे लौटा दिया था कि एक जैसे अध्यादेश को दोबारा मंजूरी के लिए नहीं भेजा जा सकता।
तब विधानसभा से पास हो जाता तो कानून बन जाता
हरिद्वार जिले में 2021 में त्रिस्तरीय पंचायतों का पांच साल का कार्यकाल पूरा हो गया था। चुनाव न होने के कारण छह महीने के लिए प्रशासक नियुक्त किए गए। लेकिन जब यह कार्यकाल खत्म हुआ, तब भी चुनाव नहीं हो पाए। ऐसी स्थिति में दोबारा प्रशासक नियुक्त करने के लिए सरकार ने पंचायती राज एक्ट में बदलाव का प्रस्ताव रखते हुए एक अध्यादेश लाया। हालांकि, अध्यादेश जारी होने के कुछ समय बाद ही जिले में पंचायत चुनाव हो गए, इसलिए यह प्रस्ताव विधानसभा में पास नहीं हो पाया। अगर इसे विधानसभा की मंजूरी मिल जाती, तो यह कानून बन जाता।
इस वजह से लौटाया अध्यादेश
पंचायती राज एक्ट के जानकार बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट की संविधानपीठ ने यह व्यवस्था दी है कि कोई अध्यादेश यदि एक बार वापस आ गया हो तो फिर से उसे उसी रूप में नहीं लाया जाएगा। ऐसा किया जाना संविधान के साथ कपट होगा। यही वजह है कि विधायी राजभवन भेजे गए अध्यादेश को एक बार लौटा चुकी है। जिसे कुछ संशोधन के बाद राजभवन भेजा गया है।
10760 त्रिस्तरीय पंचायतें हुई खाली
प्रदेश में हरिद्वार की 318 ग्राम पंचायतों को छोड़कर 7478 ग्राम पंचायतें, 2941 क्षेत्र और 341 जिला पंचायतें हैं। जिनमें ग्राम पंचायतों में प्रशासकों का कार्यकाल चार दिन पहले खत्म हो चुका है। जबकि क्षेत्र पंचायतों में दो और जिला पंचायतों में एक जून को प्रशासकों का छह महीने का कार्यकाल खत्म हो गया है।