Uttarakhand: हरीश रावत बोले- सुप्रीम कोर्ट वक्फ का इतिहास और धार्मिक स्वतंत्रता समझता है, हमें न्याय की उम्मीद

वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर सुप्रीम कोर्ट का अहम निर्णय, कांग्रेस नेता हरीश रावत ने दी प्रतिक्रिया

कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट वक्फ के इतिहास, उससे जुड़ी धार्मिक स्वतंत्रता और सरकार की मंशा—तीनों से भली-भांति परिचित है। हमें विश्वास है कि यदि सरकार न्याय देने में असफल रही है तो सुप्रीम कोर्ट जरूर न्याय करेगा।

 

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 की उस धारा पर रोक लगा दी है, जिसमें वक्फ बनाने के लिए किसी व्यक्ति का कम से कम पाँच साल से इस्लाम धर्म का अनुयायी होना अनिवार्य किया गया था। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह प्रावधान तब तक निलंबित रहेगा, जब तक यह तय करने के लिए नियम नहीं बनाए जाते कि कोई व्यक्ति इस्लाम का अनुयायी है या नहीं। हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय ने पूरे अधिनियम पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि अधिनियम की कुछ धाराओं को संरक्षण की जरूरत है।

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ अधिनियम की उस धारा पर भी रोक लगा दी है, जिसमें कलेक्टर को यह तय करने का अधिकार दिया गया था कि वक्फ घोषित संपत्ति सरकारी है या नहीं और इस संबंध में आदेश पारित कर सकता है। अदालत ने कहा कि कलेक्टर को नागरिकों के व्यक्तिगत अधिकारों पर निर्णय देने का अधिकार नहीं दिया जा सकता, क्योंकि यह शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत का उल्लंघन होगा।

सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि वक्फ बोर्ड में तीन से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल नहीं किया जाना चाहिए। फिलहाल वक्फ परिषदों में कुल मिलाकर चार से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल नहीं किया जाना चाहिए।