75 प्रतिशत मतदान पहुंचाने का मुश्किल लक्ष्य , प्रत्याशियों के साथ चुनाव आयोग की भी परीक्षा
इस बार 75 प्रतिशत मतदान का लक्ष्य है, जो पिछले चार चुनावों से अधिक है। पोलिंग पार्टियों को लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए भी बहुत मेहनत की आवश्यकता है।
19 अप्रैल को राज्य में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। मैदानी क्षेत्रों में गर्मी दिखाई देने लगी है, लेकिन पहाड़ों में अभी भी ठंड है। इस बार चुनाव में प्रत्याशियों और चुनाव आयोग दोनों की परीक्षा होगी। यद्यपि, इन विषम परिस्थितियों में 75 प्रतिशत मतदान प्राप्त करने का कठिन लक्ष्य हासिल करने के लिए आयोग ने पर्याप्त तैयारियां की हैं।
समय: कहीं ठंड, कहीं गर्मी
इस समय प्रदेश में दोनों मौसम देखने को मिल रहे हैं। गर्मी ने मैदानी जिलों हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और देहरादून में कम होना शुरू कर दिया है, लेकिन पहाड़ी जिलों में अभी भी ठंड है। ऐसे परिस्थितियों में चुनाव आयोग को दोनों जगह सुरक्षित पोलिंग पार्टियों को प्रदान करना होगा। लू से बचाने के साथ-साथ ठंड से सुरक्षित रखना भी एक चुनौती है। मुख्य चुनाव अधिकारी डॉ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने शहरी विकास विभाग और जल संस्थान को चुनाव के लिए पर्याप्त प्रबन्ध करने का आदेश दिया है। 19 अप्रैल को मौसम ने कोई बाधा नहीं डाली।
मतदान प्रतिशत को बढ़ाने के लिए एक चुनौती
आयोग को राज्य में मतदान प्रतिशत को बढ़ाना एक बड़ी चुनौती है। 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड का मतदान प्रतिशत 61.50 प्रतिशत था, जो राष्ट्रीय औसत 67.40 प्रतिशत से भी कम था। साथ ही, उत्तराखंड की दो लोकसभा सीटें, गढ़वाल और अल्मोड़ा, में मतदान प्रतिशत राज्य के औसत से भी कम था। 2004 के चुनाव में राज्य का मतदान प्रतिशत 49.25 प्रतिशत था, 2009 में 53.96 प्रतिशत था और 2014 में 62.15 प्रतिशत था। इस बार चुनाव आयोग ने 75 प्रतिशत मतदान का लक्ष्य रखा है, जो हालांकि असंभव नहीं है, लेकिन मुश्किल है।
पोलिंग पार्टियों का पंजीकरण
राज्य में भौगोलिक और मौसमी परिस्थितियां विषम हैं। ऐसे में पोलिंग पार्टियों को लक्ष्य तक पहुंचाना बहुत मुश्किल है। गढ़वाल लोकसभा में बदरीनाथ विधानसभा के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय डुमक पोलिंग स्टेशन तक पहुंचना सबसे मुश्किल है। गोपेश्वर से पहले सड़क से 55 किमी और फिर पैदल 20 किमी चलना होगा। अल्मोड़ा लोकसभा की धारचूला विधानसभा के राजकीय प्राथमिक विद्यालय कनार पोलिंग स्टेशन तक पहुंचने के लिए पोलिंग पार्टियों को पहले 80 किमी पिथौरागढ़ से सड़क मार्ग से गुजरना होगा। इसके बाद आपको 18 किमी पैदल चलना होगा।
इसी तरह, टिहरी लोकसभा की चकराता विधानसभा में राजकीय प्राथमिक विद्यालय डांगूठा से 250 किमी दूर है, जबकि ओसला उत्तरकाशी से 200 किमी दूर है, जिसमें चार किमी पैदल चलना पड़ेगा। चुनाव से तीन दिन पहले लगभग 35 पोलिंग स्टेशन पर पोलिंग पार्टियां भेजी जाएंगी। बहुत से उनक पोलिंग स्टेशन हैं, जहां पार्टियां दो दिन पहले रवाना होनी हैं।
ये तैयारियां, आयोग की परीक्षा पास करने के लिए
इस बार चुनाव आयोग ने मतदान प्रतिशत को बढ़ाने जैसे कठिन लक्ष्य को पूरा करने के लिए बहुत कुछ किया है। टर्नआउट इंप्लीमेंटेशन प्लान कमेटी, हर जिले के मुख्य विकास अधिकारी की अगुवाई में, प्रत्येक बूथ तक पहुंच बनाने का प्रयास कर रही है। इसी तरह, पिछले चुनाव में बहुत कम मतदान प्रतिशत वाले बूथों को लक्षित करके स्वीप के माध्यम से जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है। इनमें महिलाओं, दिव्यांगों और युवा लोगों को उत्साहित करने के लिए अलग-अलग मॉडल बूथ बनाए गए हैं। शत प्रतिशत सर्विस मतदाताओं से मतदान का लक्ष्य रखा गया है।