सुरेंद्र और सतपाल ने दिखाया अद्वितीय साहस: घोड़े की लगाम और गमछे की मदद से 1000 से अधिक यात्रियों की जान बचाई

गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर भीमबली में नदी के दूसरी तरफ घोड़ा-खच्चर का संचालन करने वाले केदारघाटी के तुलंगा गांव निवासी सुरेंद्र और धनपुर रतूड़ा के सतपाल ने फंसे 1000 से ज्यादा यात्रियों की जान बचाई। एक अगस्त को सुबह पांच बजे से शाम छह बजे तक इन दोनों युवाओं ने यात्रियों और स्थानीय लोगों का रेस्क्यू किया। उनके कार्यकौशल की सराहना स्वयं सेक्टर मजिस्ट्रेट ने भी की है।

31 जुलाई की देर शाम 7.30 बजे से नौ बजे तक हुई मूसलाधार बारिश और बादल फटने के कारण केदारनाथ पैदल मार्ग पर भीमबली से छोटी लिनचोली के बीच कई जगह पूरी तरह से ध्वस्त हो गया। इस दौरान धाम की ओर जा रहे और दर्शन कर लौट रहे हजारों श्रद्धालु और स्थानीय व्यवसायी इन स्थानों पर फंस गए। कुछ लोग सुरक्षित स्थानों पर भागकर अपनी जान बचाने में सफल रहे, जबकि अन्य वहीं मौजूद सुरक्षित स्थानों पर रुके रहे।

इन सबके बीच भीमबली में नदी पार नया मार्ग पर दुकान और घोड़ा-खच्चर का संचालन करने वाले दो युवाओं, सुरेंद्र और सतपाल ने तबाही का मंजर अपनी आंखों से देखा। वे सुरक्षित थे और विपत्ति में फंसे लोगों को बचाने के लिए तुरंत जुट गए।

जैसे ही बारिश थमी और मंदाकिनी का उफान कम हुआ, सुरेंद्र और सतपाल मुख्य पैदल मार्ग पर पहुंचे और वहां फंसे 50 लोगों को सुरक्षित निकाला। इसके बाद, ये दोनों युवा मोबाइल की रोशनी में दो किमी आगे रामाबाड़ा गए, जहां 100 से अधिक यात्री विभिन्न जगहों पर फंसे हुए थे। उन्होंने इन यात्रियों को हाथ पकड़कर और एक-दूसरे का सहारा बनाकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया।

इन दोनों को सूचना मिली कि छोटी लिंचोली में भी सैकड़ों लोग फंसे हुए हैं। रात गुजरने के बाद सुबह पांच बजे, सुरेंद्र और सतपाल घोड़ा-खच्चरों की लगाम, प्लास्टिक पाइप और गमछे लेकर छोटी लिंचोली पहुंचे। यहां हिमखंड जोन में पूरा रास्ता ध्वस्त हो चुका था और एक गहरी खाई बन गई थी, जिसे पार करना मुश्किल था। यहां 800 लोग फंसे हुए थे, जिनमें ज्यादातर केदारनाथ से दर्शन कर लौटने वाले महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल थे।

यहां सुरेंद्र और सतपाल ने सबसे पहले मुख्य रास्ते से करीब चार सौ मीटर ऊपर एक फीट चौड़ा और बीस मीटर लंबा अस्थायी रास्ता तैयार किया। इसके बाद, लगाम, प्लास्टिक पाइप और गमछों का एक सिरा पेड़ पर बांधकर नीचे उतरे, जहां यात्री फंसे हुए थे। उन्होंने एक-एक कर यात्रियों को सुरक्षित ऊपर चढ़ाया और फिर सभी को चार सौ मीटर नीचे पगडंडी से मुख्य रास्ते तक पहुंचाया। बिना रुके-थके, इन दोनों युवाओं ने लोगों को निकालने का काम किया। दोपहर 12 बजे इनकी मदद के लिए अन्य सुरक्षा जवान मौके पर पहुंचे।

सुरेंद्र और सतपाल ने बताया कि बाबा केदार के आशीर्वाद से उन्हें लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने की शक्ति मिली। उनके पास 20 घोड़ा-खच्चरों की लगाम, लगभग एक सौ मीटर प्लास्टिक पाइप और 50 से अधिक गमछे थे, जिनका उन्होंने मजबूत रस्सा बनाया, जिससे रेस्क्यू में आसानी हुई। उन्होंने कहा कि इस रेस्क्यू के दौरान फंसे यात्रियों में 8 से 12 वर्ष तक के बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग भी शामिल थे।

कई यात्रियों को रस्सा पकड़ने में डर लग रहा था, ऐसे में सुरेंद्र और सतपाल ने उन्हें प्रेरित किया और खुद भी कई बार खाई से चार सौ मीटर ऊपर और फिर खाई तक दूरी तय की। उन्होंने 800 से अधिक यात्रियों का सफल रेस्क्यू किया। सुरेंद्र पूर्व में जिला आपदा प्रबंधन में भी काम कर चुके हैं। भीमबली में तैनात सेक्टर मजिस्ट्रेट संदीप सिंह ने बताया कि इन दोनों युवाओं ने एक हजार से अधिक लोगों को सकुशल बचाया है।