धामों की क्षमता का आकलन करने के लिए अध्ययन प्रारंभ, डब्ल्यूआईआई को सौंपा गया कार्य

यात्रा की शुरुआत में बड़ी संख्या में यात्रियों के आने से व्यवस्थाओं पर दबाव बढ़ जाता है। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने डब्ल्यूआईआई से धामों में यात्रियों की क्षमता का आकलन कर रिपोर्ट तैयार करने को कहा है।

वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूआईआई) ने हेमकुंड साहिब, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री में श्रद्धालुओं की धारण क्षमता का आकलन शुरू कर दिया है। यह जिम्मेदारी उन्हें प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सौंपी है।

इस अध्ययन के तहत संस्थान धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं के ठहरने की क्षमता, चिकित्सा सुविधाएं, कूड़ा प्रबंधन, खच्चर-घोड़ों की संख्या और उनके प्रबंधन जैसे विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगा। यह रिपोर्ट भविष्य में यात्राओं का संचालन बेहतर बनाने में सहायक होगी। यात्रा के प्रारंभ में बड़ी संख्या में यात्रियों के पहुंचने से व्यवस्थाओं पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने डब्ल्यूआईआई को धामों में यात्रियों की धारण क्षमता का आकलन करने और रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी है। यह अध्ययन यात्रा की शुरुआत, बरसात के मौसम और अंत में व्यवस्थाओं पर पड़ने वाले दबाव के आधार पर किया जाएगा, ताकि भविष्य में बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित किया जा सके।

डब्ल्यूआईआई ने तीन ऐसे स्थान चुने हैं, जहां पैदल या घोड़े से यात्रा करनी पड़ती है और यात्रा अपेक्षाकृत कठिन होती है। इसके साथ ही गंगोत्री को भी शामिल किया गया है, जहां सीधे वाहन से पहुंचा जा सकता है।