एसडीएम ने मैं भी रामभक्त हूँ, मंत्री ने साझा किया अपने यादे

अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए चले आंदोलन से जुड़ी मेरी स्मृतियों में आज भी कई यादें हैं। मैं टिहरी जेल में हमारे समय को याद करता हूँ। आखिरकार, मैं गिरफ्तार हुआ। मेरे पीछे एक और सहयोगी था, जिसकी जमानत नहीं हो सकी। वे निराश थे। मैंने उनकी मायूसी मुझसे देखी  नहीं गई मैंने फैसला किया कि मैं भी जेल से बाहर नहीं जाऊंगा जब तक मेरा साथी को भी जमानत नहीं मिलेगी

उस समय एसडीएम स्तर का अधिकारी वहां था। मुझे समझाने की कोशिश की। मैं नहीं मानता था। हम दोनों को उनके घर ले गए। हम आशंकित थे कि रात में हमें पुलिस पिटाई न करें । लेकिन जब उन्होंने हमें भोजन कराया और सोने के लिए कमरा दिया, तो हमारी चिंता दूर हो गई। जब उन्होंने बताया कि मैं भी रामभक्त हूँ, लेकिन अपने कर्तव्यों से बंध गया हूँ, तो मैं हैरान रह गया।

हमारा परिवार डोईवाला में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ा हुआ है। पिता जी क्षेत्र में संघर्षों में काफी सक्रिय थे। हम भी उनसे जुड़े हुए थे। उस समय मेरी आयु 25 वर्ष की होगी। मैं विवाह कर चुका था। उस समय राम की शिलाएं अयोध्या से आई थीं। मैं राम शिला पूजन कार्यक्रम की देखरेख करता था। उस समय क्षेत्र के लगभग सभी इलाके कांग्रेस बहुल थे।

राम शिलाओं का पूजन करना आसान नहीं था। मैं बालावाला, नकरौंदा, दूधली, थानो, भोगपुर, बुल्लावाला और कई अन्य स्थानों पर बैठते था। हमने साध्वी ऋतंभरा सहित अनेक संतों की बैठकें भी कीं। पुलिस के आँखो के सामने मैं चढ़ गया। मैं एक दिन अपनी दुकान पर बैठा था। कुछ पुलिसकर्मी आपसे कार्यक्रमों पर चर्चा करने आए। डोईवाला पुलिस थाने में मुझे बुलाया गया था, जहां मुझे अचानक गिरफ्तार कर लिया गया था।

जब मैंने दुकान की चाभी देने के बहाने स्थानीय लोगों से अपनी गिरफ्तारी की सूचना दी, तो कुछ ही देर में पांच सौ से अधिक स्थानीय लोगों और कार्यकर्ताओं ने थाना घेर लिया। मैं पुलिस से भाग गया और भीड़ ने मुझे बचाया। मैं उस दिन से पुलिस से छुपता रहा। हरियाणा अपने ससुराल पहुंचा। पिताजी को भी इस बीच खोजने लगे। तब हमारा काम अच्छा चलता था। लेकिन वह भी धीरे-धीरे कमजोर होता गया।

जब मैं वापस आ गया। मैं श्री राम कार सेवा का जिला संयोजक बन गया मैं रायवाला, ऋषिकेश, माजरी और शेरगढ़ तक चला गया। मुझे पुलिस खोजती रही और अंततः मुझे गिरफ्तार कर देहरादून ले गई। उस समय मेरे पास एक पैसा भी नहीं था। मैंने पुलिस से किराये के लिए कुछ पैसे मांगे क्योंकि मुझे अंदेशा था कि पुलिस हमें कहीं छोड़ देगी।

उन्होंने मुझे 192 रुपये दिए। हमें पुलिस लाइन पर ले जाया गया, जहां से हमें बस में टिहरी जेल ले जाया गया। डोईवाला पहुंचते ही सैकड़ों रामभक्त वहां इंतजार कर रहे थे। जब मैं बस से बाहर निकला तो रामभक्त उत्साहित हो गए। जय श्रीराम के नारे लगाकर वे बस में चले गए। देखते ही लगभग 42 लोगों को पकड़ लिया गया।

पुलिस इससे नाराज़ हो गई। जो कोई उसके हाथ लगा, उसे गिरफ्तार कर लिया गया। सब्जी खरीदने बाजार आए एक स्थानीय मुस्लिम भी गिरफ्तार किया गया। हम भी बाद में थाने में गिरफ्तार हो गए। हमें टिहरी जेल में डाल दिया गया था। मैं 19 दिन तक वहाँ कैद में रहा। जेल में हम रामायण और हनुमान चालीसा सुनते थे। शाखाएं बनाई गईं। स्थानीय मुस्लिम महिला मतकूल ने मेरा स्वागत किया जब मैं वापस आया। आज मुझे उनके शब्द सुनाई देते हैं: लौट आया प्रेम! आज हम उत्साहित और गौरवान्वित हैं कि भगवान राम के भव्य मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा अयोध्या में होने वाली है।