अगले साल से वन-वे पैदल यात्रा, पुराने रास्ते का पुनर्जीवित होना, गरुड़चट्टी फिर से जीवंत होगी

वर्ष 2025 से केदारनाथ की पैदल यात्रा वन-वे हो जाएगी। इसके लिए रामबाड़ा से गरुड़चट्टी तक पुराने पैदल मार्ग को फिर से तैयार किया जा रहा है। 5.35 किमी लंबे और 1.8 मीटर चौड़े इस मार्ग के बनने से यात्रा और भी सुगम हो जाएगी और गरुड़चट्टी फिर से आबाद हो जाएगा। इस नए रास्ते से केदारनाथ धाम तक पहुंचना आसान होगा और मौजूदा मार्ग पर बढ़ते यात्री दबाव को भी कम करने में मदद मिलेगी।

जून 2013 की आपदा में रामबाड़ा से केदारनाथ तक का लगभग 7 किमी का मार्ग पूरी तरह नष्ट हो गया था। इसके बाद, नेहरू पर्वतारोहण संस्थान ने केदारनाथ पहुंचने के लिए रामबाड़ा से मंदाकिनी नदी के दाहिने किनारे पर 9 किमी का नया रास्ता बनाया। पिछले दस वर्षों से इसी मार्ग से पैदल यात्रियों की आवाजाही हो रही है।

हर साल बढ़ती यात्रियों की संख्या से पैदल मार्ग पर दबाव बढ़ता जा रहा है। 31 जुलाई को आई आपदा ने इस नए मार्ग को काफी नुकसान पहुंचाया। वर्तमान में मार्ग की मरम्मत की जा रही है, लेकिन क्षेत्र में लगातार हो रहे भूस्खलन के कारण खतरा बना हुआ है। ऐसे में पुराने मार्ग को फिर से बहाल किया जा रहा है।

सर्वेक्षण के आधार पर रामबाड़ा से गरुड़चट्टी तक मार्ग निर्माण के लिए पिछले दो हफ्तों से लोक निर्माण विभाग की टीम कटान का काम कर रही है। रास्ते को आसान बनाया जा रहा है ताकि यात्री आसानी से गरुड़चट्टी तक पहुंच सकें। इस मार्ग के बनते ही केदारनाथ तक पहुंच संभव हो जाएगी, क्योंकि गरुड़चट्टी से केदारनाथ तक का 3.5 किमी मार्ग पहले से ही तैयार है। मंदाकिनी नदी पर बना पुल भी इस रास्ते को मंदिर से जोड़ने के लिए तैयार है।

पुराने मार्ग के पुनर्जीवित होने से केदारनाथ की पैदल यात्रा को वन-वे किया जाएगा। इसके तहत यात्री नए मार्ग से धाम तक पहुंचेंगे और दर्शन के बाद पुराने मार्ग से वापस लौटेंगे। ऐसा माना जा रहा है कि नए मार्ग से घोड़ा-खच्चरों का संचालन होगा और पुराने मार्ग से पैदल यात्री आ-जा सकेंगे। इससे आपदा के बाद से सुनसान पड़े गरुड़चट्टी में फिर से रौनक लौट आएगी।

लंबे समय से चल रही थी कार्रवाई

वर्ष 2015 से पुराने रास्ते को पुनर्जीवित करने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। तीन चरणों में भूमि सर्वेक्षण के बाद अन्य औपचारिकताएं पूरी की गईं। इस वर्ष की शुरुआत में भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय से 0.983 हेक्टेयर वन भूमि के हस्तांतरण की अनुमति प्राप्त हुई। इसके बाद मार्च-अप्रैल में वन संपदा क्षतिपूर्ति की राशि जमा की गई और पुनर्जीवित कार्य के लिए निविदाएं आमंत्रित की गईं। अगस्त के तीसरे सप्ताह से लोनिवि ने रामबाड़ा से गरुड़चट्टी तक पुराने रास्ते के निर्माण का काम शुरू कर दिया है।

 

रामबाड़ा से गरुड़चट्टी तक 5.35 किमी का रास्ता पुनर्जीवित किया जा रहा है, जिसमें लगभग एक किमी का कटान हो चुका है। इस निर्माण पर लगभग पांच करोड़ रुपये की लागत आएगी। दूसरे चरण में रास्ते की सुरक्षा के लिए रेलिंग और अन्य काम किए जाएंगे। इस नए मार्ग के निर्माण से केदारनाथ की पैदल यात्रा आसान और सुलभ हो जाएगी। – विनय झिक्वांण, अधिशासी अभियंता, लोनिवि गुप्तकाशी