सात सितंबर से पूरी क्षमता के साथ शुरू होगी केदारनाथ यात्रा, दोनों मार्गों का होगा विकास
केदार धाम की पैदल यात्रा, हवाई यात्रा, और डंडी-कंडी जैसी यात्रा के माध्यम पूरी तरह सुरक्षित हैं। हालांकि, फिलहाल पैदल मार्ग पर 10 स्थानों पर, खासकर जहाँ झरने थे, वहाँ मार्ग संकरा हो गया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर केदार यात्रा की पुनर्व्यवस्था का निरीक्षण कर लौटे भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता और आपदा विशेषज्ञ कर्नल अजय कोठियाल ने कहा कि केदार यात्रा पूरी तरह सुरक्षित है। सात सितंबर से यात्रा पूरी क्षमता के साथ 2013 से पहले वाले मार्ग पर संचालित होगी।
उन्होंने कहा कि निकट भविष्य में दोनों मार्गों को अधिक क्षमता के लिए विकसित कर यात्रा को और भी सुचारू बनाया जाएगा। पार्टी मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि 31 जुलाई की आपदा में लगभग 2013 की आपदा जैसा ही नुकसान हुआ, लेकिन सभी आपदा प्रबंधन एजेंसियों ने बेहतरीन काम किया।
उन्होंने बताया कि सात सितंबर से तीन नवंबर तक यात्रा के अंतिम चरण के लिए पैदल मार्ग को इस तरह सुधारने का काम किया जा रहा है कि यात्रा में कोई परेशानी न हो। धाम में महत्वपूर्ण स्थानों पर होने वाले कार्यों के लिए निर्माण सामग्री भी आसानी से पहुंचाई जा सकेगी। दूसरे चरण में, जब कपाट बंद हो जाएंगे, अगले छह महीनों में मार्ग की अन्य बड़ी बाधाओं को दूर करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
लिंचौली रहने के लिए बड़ा और सुरक्षित स्थान
कहा, वर्तमान में केदार धाम को लेकर पैदल यात्रा, हवाई यात्रा एवं डंडी-कंडी आदि के माध्यमों से होने वाली यात्राएं पूरी तरह सुरक्षित हैं। फिलहाल वहां पैदल मार्ग में 10 स्थानों पर विशेषकर जहां झरने थे, वहां मार्ग सिमट कर छोटा हो गया। वहां हमारी आपदा प्रबंधन की टीमों को विशेष रूप से सक्रिय रखा गया है।
कहा, यात्रा के अंतिम चरण में आपदा प्रबंधन टीम की योजना के तहत लिंचौली के अतिरिक्त पैदल मार्ग में अन्य किसी स्थान पर यात्रियों को ठहराया नहीं जाएगा, क्योंकि लिंचौली रहने के लिए काफी बड़ा और सुरक्षित स्थान है। आपदा में मिसिंग लोगों के बारे में कहा, अब तक कुल 27 लोगों के लापता होने की सूचना है।
उन्होंने बताया कि आपदा प्रबंधन एजेंसियों ने सात शवों को ढूंढ लिया है, जबकि बाकी की तलाश जारी है। साथ ही, केदार यात्रा व्यवस्था पर आधारित विस्तृत रिपोर्ट मुख्यमंत्री धामी को सौंप दी गई है, जिसमें आपदा के दौरान मुख्यमंत्री द्वारा समय-समय पर दिए गए महत्वपूर्ण सुझावों को भी शामिल किया गया है।