अफसरो की लापरवाही के कारण उत्तराखंड के बच्चों को नहीं मिल पायेगा राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार

केवल बागेश्वर से जिस बच्चे का आवेदन आया, सीईओ ने उसकी जांच ही नहीं की। इसलिए 26 जनवरी को उत्तराखंड से कोई भी बच्चा राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार नहीं मिलेगा। उत्तराखंड के बहादुर बच्चों ने अपनी जान पर खेलकर दूसरों की जान बचाई है। इस बार इनमें से किसी भी बच्चे को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार नहीं मिलेगा। इसका कारण यह है कि ऐसे बच्चों के आवेदन अंतिम तिथि तक नहीं भेजे गए थे।

राज्य बाल कल्याण परिषद ने कहा कि उत्तराखंड के वीर बच्चों को गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार भी मिल सकता है. इसके लिए राज्य के एसएसपी, डीएम, सीईओ और शिक्षा विभाग के निदेशक को कई पत्र भेजे गए हैं।

एक जुलाई 2022 से 30 सितंबर 2023 के बीच वीरता का प्रदर्शन करने वाले छह से 18 वर्ष के बच्चों के नाम परिषद को भेजे गए। बहादुर बच्चों के आवेदन, परिषद की महासचिव पुष्पा मानस के अनुसार, 31 अक्तूबर 2023 तक किसी भी जिले से नहीं भेजे गए।

बागेश्वर जिले के जीआईसी अमस्यारी के छात्र भाष्कर परिहार का नाम राज्य बाल कल्याण परिषद को वीरता पुरस्कार के लिए भेजा गया था, लेकिन कोई जांच नहीं हुई। 24 अगस्त 2023 को, उसने एक छात्रा को एक गुलदार से बचाया था। बताया गया कि इस आवेदन को सीईओ को जांच के लिए भेजा गया था, लेकिन अभी तक कोई जांच रिपोर्ट नहीं मिली है।

रुड़की: 17 मई 2023 को, भगवानपुर तहसील के मानक मजरा गांव में नवाब (18) अपने छोटे भाई मोनिश (16) के साथ नदी किनारे घास काटते हुए गुलदार से बचाया गया। इसी दौरान मोनिश ने गुलदार पर हमला बोला। नवाब ने इसके बाद गुलदार को पीछे से पकड़कर पलटी दे मारी। गुलदार ने इस पर उसकी ओर झपटा और हाथों में पंजे और दांत गड़ा दिए। दोनों भाइयों के शोर से गुलदार भाग निकला। दोनों घायल भाइयों को पहले सिविल अस्पताल और फिर एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया गया।

श्रीनगर: आराधना  (10) ने बीती 25 सितंबर को अपने छोटे भाई प्रिंस (7) को बरामदे में पढ़ते हुए बचाया। तब प्रिंस को गुलदार मार डालता है।  तब आराधना ने भाई को बचाने के लिए गुलदार से भिड़ी वह चिल्लाने लगी और भाई को अंदर भेज के गुलदार को मेज से मारा गुलदार इससे प्रिंस को छोड़कर भाग गया।