बदरीनाथ धाम: कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू, आदि केदारेश्वर को अर्पित हुआ अन्नकूट भोग

बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया में 15 नवंबर को खड़क पुस्तक की पूजा और वेद ऋचाओं का पाठ बंद किया जाएगा। 16 नवंबर को मां लक्ष्मी को कढ़ाई भोग अर्पित किया जाएगा। 17 नवंबर को रात 9:07 बजे बदरीनाथ धाम के कपाट बंद कर दिए जाएंगे।

बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। आज वैदिक पंच पूजा के दूसरे दिन, आदि केदारेश्वर मंदिर और आदि गुरु शंकराचार्य मंदिर के कपाट भी विधि अनुसार बंद किए गए हैं। कपाट बंद करने से पहले आदि केदारेश्वर भगवान को अन्नकूट भोग चढ़ाया गया।

बदरीनाथ धाम के मुख्य पुजारी रावल अमरनाथ नंबूदरी ने भगवान आदि केदारेश्वर को अन्नकूट (पके हुए चावल) अर्पित किए। पूजा के दौरान भगवान आदि केदारेश्वर और नंदी पर गरम चावल का लेपन किया गया। इस समय भगवान श्री आदि केदारेश्वर की विशेष पूजा भी की गई। इसके बाद शीतकाल के लिए श्री आदि केदारेश्वर और आदि गुरु शंकराचार्य मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए।

कल बंद होगा खड़क पुस्तक पूजा और वेद ऋचाओं का वाचन

बदरीनाथ धाम के कपाट 17 नवंबर को शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे। इस प्रक्रिया की शुरुआत 13 नवंबर से हो चुकी है। बीकेटीसी के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि पंच पूजाओं के तहत 13 नवंबर को पहले दिन गणेश पूजा की गई और उसी दिन शाम को गणेश मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए थे। आज, दूसरे दिन आदि केदारेश्वर और शंकराचार्य मंदिर के कपाट बंद किए गए।

15 नवंबर को खड़क पुस्तक पूजा और वेद मंत्रों का पाठ बंद होगा। 16 नवंबर को मां लक्ष्मी को कढ़ाई भोग अर्पित किया जाएगा। 17 नवंबर को रात 9:07 बजे बदरीनाथ धाम के कपाट बंद कर दिए जाएंगे।

पंच पूजाएं रावल अमरनाथ नंबूदरी और धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल, वेदपाठी रविंद्र भट्ट द्वारा संपन्न की जाएंगी। 18 नवंबर को कुबेर, उद्धव और आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी पांडुकेश्वर के लिए प्रस्थान करेगी। शीतकाल में कुबेर और उद्धव जी पांडुकेश्वर में रहेंगे। वहीं, आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी 19 नवंबर को नृसिंह मंदिर, ज्योतिर्मठ के लिए प्रस्थान करेगी। इसके बाद शीतकालीन पूजाएं पांडुकेश्वर और ज्योतिर्मठ में होंगी।