सरकार का स्क्रैप नीति के तहत निजी वाहनों के लिए प्रोत्साहन

सरकार ने पिछले साल स्क्रैप नीति लागू की थी। इस नीति के तहत निजी या गैर सरकारी वाहनों को स्क्रैप करने के लिए सरकार प्रोत्साहन प्रदान कर रही है।

प्रदेश में अब पर्वतीय क्षेत्रों में भी छोटे और किफायती कबाड़ केंद्र स्थापित किए जा सकेंगे। इसके लिए वाहनों को कबाड़ में बेचने पर नए वाहनों के टैक्स में छूट देने के लिए स्क्रैप नीति में संशोधन किया जाएगा।

परिवहन विभाग इस योजना की तैयारी कर रहा है। सरकार ने पिछले साल स्क्रैप नीति लागू की थी, जिसके तहत निजी या गैर सरकारी वाहनों को स्क्रैप करने के लिए प्रोत्साहन दिया जा रहा है। यदि आप अपना वाहन कबाड़ केंद्र में देंगे, तो आपको बाजार मूल्य के अनुसार उस केंद्र से भुगतान मिलेगा।

इसके अलावा, राज्य सरकार की ओर से 25 प्रतिशत टैक्स छूट का प्रमाणपत्र दिया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि आप 10 लाख रुपये की कार खरीदते हैं और उसका टैक्स एक लाख रुपये है, तो आपको 25 प्रतिशत यानी 25 हजार रुपये की छूट मिलेगी। इसी तरह, 20 लाख रुपये के वाहन पर 25 प्रतिशत के अनुसार 50 हजार रुपये की छूट मिलेगी, लेकिन इससे अधिक की छूट नहीं दी जाएगी।

 

सरकार ने व्यावसायिक वाहनों को स्क्रैप में देने के लिए विशेष प्रावधान बनाए हैं। जो वाहन 2003 से पहले के हैं, उन्हें स्क्रैप करने पर पुराना टैक्स और पेनाल्टी 100 प्रतिशत माफ की जाएगी। वहीं, 2003 से 2008 के बीच के वाहनों पर पुराने बकाया टैक्स पर 50 प्रतिशत और जुर्माने पर 100 प्रतिशत छूट दी जाएगी।

2008 के बाद के व्यावसायिक वाहनों पर पुराने बकाया टैक्स में कोई छूट नहीं होगी, लेकिन उनके जुर्माने पर 100 प्रतिशत छूट मिलेगी। इन वाहनों को स्क्रैप में देने वालों को सरकार आठ साल तक टैक्स में 15 प्रतिशत छूट का लाभ भी प्रदान करेगी। फिर भी, इस नीति के प्रति प्रोत्साहन का अभाव देखने को मिल रहा है।

स्क्रैप सेंटर स्थापित करने के लिए मानक काफी सख्त हैं। इसके लिए आवश्यक हैं जमीन, कर्मचारी और मशीनें, जो चुनौतीपूर्ण साबित हो रहे हैं, जिसके कारण केवल रुड़की में ही स्क्रैप सेंटर संचालित हो पा रहा है। इसलिए, परिवहन विभाग अब इन मानकों में लचीलापन लाने की योजना बना रहा है, ताकि कम भूमि और कम कर्मचारियों के साथ कबाड़ सेंटर चलाना संभव हो सके।

सरकारी कंडम गाड़ी जनता तक नहीं जाएगी

अब तक कोई भी सरकारी गाड़ी 15 साल से पहले कंडम होने पर बोली के जरिए जनता को बेची जा सकती थी, लेकिन अब सरकार ने नियमों में बदलाव किया है। अब 15 साल के बाद या इससे पहले जो भी गाड़ी कंडम होगी, वह जनता के लिए उपलब्ध नहीं होगी और उसे स्क्रैप सेंटर में ही भेजना होगा।

स्क्रैप नीति के कई नियम और मानक लाभकारी साबित नहीं हो पा रहे हैं। हम इसके मानकों में कुछ राहत देने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए नीति में संशोधन किया जाएगा।

-बृजेश कुमार संत, सचिव, परिवहन