देहरादून एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाने की घोषणा अभी तक नहीं, जानिए क्यों
नाप जोख के बाद दून एयरपोर्ट पर चर्चा नहीं बढ़ी रही। पंतनगर में 325.5126 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण की अनुमति मिली है। विभिन्न लाभों के बावजूद दून एयरपोर्ट पीछे क्यों है?
देहरादून एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाने की घोषणा अभी तक नहीं हुई है। हालाँकि, लगभग चार साल से शासन ने रनवे विस्तारीकरण का प्रस्ताव ठुकरा दिया है। 2020 में, दून एयरपोर्ट के रनवे को बढ़ाने की योजना शुरू की गई थी। जब एयरपोर्ट प्रशासन ने रानीपोखरी की ओर 243 एकड़ वन क्षेत्र को 650 मीटर रनवे और बढ़ाने के लिए राज्य सरकार को दिया था।
कांग्रेस और अन्य संस्थाओं ने बाद में एयरपोर्ट के लिए पेड़ काटे जाने का विरोध किया। विरोध के बाद से सरकार ने एयरपोर्ट रनवे को बढ़ाना नहीं चाहा। जबकि पहले कैबिनेट ने पंतनगर एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाने के लिए 325.5126 हेक्टेयर जमीन को नागरिक उड्डयन विभाग के नाम करने की अनुमति दी थी. रनवे की लंबाई 1,372 से 3,000 मीटर तक बढ़ाई जाएगी।
पंतनगर एयरपोर्ट को नेशनल हाईवे ने जो भूमि दी है। उसकी एवज में नेशनल हाईवे को सात किमी का हाईवे तैयार करने के लिए प्रदेश सरकार ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को 188.55 करोड़ देने की मंजूरी भी बीते 14 फरवरी को कैबिनेट में दी है। एयरपोर्ट अथॉरिटी और प्रदेश सरकार ने पंतनगर एयरपोर्ट का सर्वे आदि भी कर लिया गया है।
पंतनगर एयरपोर्ट के रनवे विस्तार को जंगल की ओर या जौलीग्रांट बाजार की ओर बढ़ाने के लिए काफी विरोध हो चुका है, इसलिए इसे आगे बढ़ाया जाना चाहिए। पंतनगर में इसके विपरीत कोई विरोध नहीं है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी पंतनगर एयरपोर्ट पर केंद्रित हैं।
पर्यटन, तीर्थाटन और सामरिक दृष्टि से दून एयरपोर्ट का विस्तार जरूरी पर्यटन, तीर्थाटन और सामरिक दृष्टि से प्रदेश का कोई भी दूसरा एयरपोर्ट दून एयरपोर्ट जैसा नहीं है। दून एयरपोर्ट से चारधाम, हेमकुंड साहिब, हरिद्वार, ऋषिकेश, यूनेस्को में शामिल फूलों की घाटी, ओली, राजधानी देहरादून, लालतप्पड़ औद्यौगिक क्षेत्र और प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल और मेडिकल कॉलेज जुड़े हैं। रेस्क्यू और सामरिक रूप से भी यह एयरपोर्ट अपनी उपयोगिता साबित कर चुका है।
हाल ही में सरकार को एयरपोर्ट विस्तार के लिए वन क्षेत्र से संबंधित प्रस्ताव भेजा गया था। अब राज्य सरकार को ही इस बारे में निर्णय लेना है। – प्रभाकर मिश्रा, एयरपोर्ट ऑफिसर