सरकार ने विभागीय स्तर पर स्वीकृत पदों के साथ और बिना पद स्वीकृति के आउटसोर्स से जुड़े कर्मचारियों के वेतन भुगतान की जाँच करने के आदेश दिए हैं।
सरकार ने विभागीय स्तर पर स्वीकृत पदों के साथ और बिना पद स्वीकृति के आउटसोर्स से जुड़े कर्मचारियों के वेतन भुगतान की जाँच करने के आदेश दिए हैं
उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम के माध्यम से प्रदेश के विभिन्न विभागों में कार्यरत 25,000 से अधिक कर्मचारियों में से 7,000 कर्मचारियों को हटाने की तैयारी हो रही है। कुछ कर्मचारियों का वेतन रोका गया है। वन और अन्य विभागों ने सफाई, सुरक्षा, बागवानी, और अन्य कार्यों के लिए आउटसोर्स के माध्यम से काम करने वाले कर्मचारियों की जानकारी मांगी है।
सरकार ने विभागीय स्तर पर स्वीकृत पदों के साथ और बिना पद स्वीकृति के आउटसोर्स से जुड़े कर्मचारियों के वेतन भुगतान की जांच के आदेश दिए हैं। अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन के आदेश के बाद, वन विभाग ने कुछ कर्मचारियों के वेतन को रोक दिया है। इसके बावजूद, समस्त आहरण वितरण अधिकारियों से कर्मचारियों के वेतन संबंधी ब्योरा तलब किया गया है। उसी तरह, अन्य विभागों ने भी उपनल कर्मचारियों की जानकारी मांगी है।
आदेश में कहा गया है कि मानक मद आठ के तहत संविदा, अनुबंध या बाह्य सेवा प्रदाता एजेंसी जैसे उपनल, पीआरडी के माध्यम से स्वीकृत पदों के सापेक्ष कार्यरत कर्मचारियों को ही पारिश्रमिक के भुगतान की व्यवस्था है। जबकि मानक मद 27 के तहत स्वीकृत पदों के सापेक्ष आउटसोर्स से लगे कर्मचारियों को पारिश्रमिक के भुगतान की व्यवस्था नहीं है। इस मद से केवल सफाई व्यवस्था, सुरक्षा या बागवानी संबंधी सेवाओं के लिए भुगतान किया जाएगा।
आदेश में कहा गया है व्यवस्था के विपरीत कुछ विभागों की ओर से व्यय का गलत वर्गीकरण किया जा रहा है। उपनल कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष विनोद गोदियाल के मुताबिक प्रदेश के विभिन्न विभागों में बिना स्वीकृत पद के बड़ी संख्या में कर्मचारी कार्यरत हैं। इस आदेश के बाद वन विभाग ने 250 कर्मचारियों का वेतन रोक दिया है। इस आदेश से विभिन्न विभागों में उपनल के सात हजार से अधिक कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त हो रही हैं। जिसमें अधिकतर कर्मचारी वन विभाग, राज्य कर, कृषि, ग्राम्य विकास एवं स्वास्थ्य विभाग से हैं।