जनता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर रहे हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर चुनाव जीते जनप्रतिनिधि

जनता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर चुनाव जीते जनप्रतिनिधि

चुनाव की रणभेरी में स्थानीय जनता द्वारा अपने लिए एक पढ़े लिखे योग्य जनप्रतिनिधि चुनने के बजाए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट पाकर चुनाव जीते जनप्रतिनिधि एक तरह से जनता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर रहे हैं।

इन दिनों कई क्षेत्रों में लोग स्वयं को कोसते देखे और सुने जा सकते हैं। ऐसा ही एक मामला घनसाली विधानसभा क्षेत्र से दो बार के विधायक शक्तिलाल शाह के खिलाफ स्थानीय महिला का वीडियो सोशल मीडिया में बड़ी तेजी से वायरल हो रहा है उक्त वीडियो में महिला विधायक शक्तिलाल शाह जी को अपना कीमती वोट देने की सबसे बड़ी भूल बता रही है साथी ही पूर्व विधायक भीमला आर्य के द्वारा विदेश में फंसे हुए लोगों की घर वापसी के लिए किए गए प्रयास हों या फिर प्रशासन द्वारा घनसाली में अतिक्रमण हटाओ अभियान मैं खुलकर प्रशासन का विरोध करते हुए व्यापारियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहने की बात के लिए उक्त महिला विधायक भीमलाल आर्य की तारीफ कर रही है वहीं वर्तमान विधायक शक्तिलाल शाह को खूब खरी खोटी सुना रही है! गाहे बगाहे दबी ज़ुबाँ से लोगों में यह चर्चा सुनने को मिल ही जाती है और लोग स्वयं को इसलिए कोस रहे हैं कि उन्होंने किसे अपना जनप्रतिनिधि चुन दिया। साथ ही कहते हैं कि उन्होंने उक्त नेता को किसके नाम पर चुना। इसके साथ ही तमाम तोहमत भी लोग लगा रहे हैं। मगर, इससे कोई खास फायदा होने वाला नहीं है।

आपको बता दें जनता एसी गलती एक बार नहीं बल्कि बार-बार दोहराती रही है। दरअसल, ग्रामीण क्षेत्र के भोले भाले लोग अपने क्षेत्र के विकास लिए अपना जनप्रतिनिधि नहीं बल्कि दिल्ली से चलने वाले राजनीतिक दल को चुनते हैं और फिर ऐसे नेता जनता से अधिक अपने दल की सुनते हैं और उन्हें सुननी भी पड़ती है। परिणाम आपके सामने हैं और जनता भगवान भरोसे होती है।

ऐसे नेता जन हित के मुददों पर भी अपने दल के नेता के सामने मुंह खोलने की स्थिति में नहीं होते। यहीं से सबसे बड़ी समस्या पैदा होती है। हां, नेता को इससे व्यक्तिगत लाभ खूब होते हैं। ऐसे ही नहीं बनते हैं नेताजी करोड़पति

कुल मिलाकार दल के नाम पर चुनाव जीतने वाले नेता कभी भी और किसी भी स्तर पर जनता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरते। उनकी नाकामियों को छिपाने के लिए दल होता है। दल नेताओं के भ्रष्टाचार को भी सेफ मैसेज देने से नहीं चूकते।

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