यहाँ एक महीने के भीतर 1200 नकली रेमडेसिविर के इंजेक्शन लाये जाने का खुलासा पुलिस ने किया है।

इंदौर। यहाँ एक महीने के भीतर 1200 नकली रेमडेसिविर के इंजेक्शन लाये जाने का खुलासा पुलिस ने किया है। इन इंजेक्शन को नमक और ग्लूकोज़ के पानी मिला कर तैयार किया गया था। इंजेक्शन गुजरात के सूरत में बनाये जाते थे। 

इंदौर के विजय नगर थाने के प्रभारी तहजीब काजी ने जानकारी देते हुए कहा कि गुजरात के सूरत में नमक और ग्लूकोज के पानी से नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने वाले गिरोह का वहाँ की पुलिस ने खुलासा किया। इस मामले में छह लोग गिरफ्तार किये गये थे। इंदौर पुलिस को पता चला कि पकड़ में आये लोगों में से एक ने इंदौर के सुनील मिश्रा के द्वारा इस गिरोह ने एक महीने में मध्य प्रदेश में कम से कम 1,200 नकली रेमडेसिविर इंजेक्शनों की आपूर्ति की है। महामारी के मरीजों की जान से खिलवाड़ करते हुए ये इंजेक्शन नमक और ग्लूकोज के पानी से बनाए गए थे। पुलिस के एक अधिकारी ने  जानकारी दी।

काजी के मुताबिक गुजरात में गिरफ्तार आरोपियों में शामिल कौशल वोरा ने इंदौर आकर मिश्रा को नकली रेमडेसिविर के 700 इंजेक्शनों की खेप सौंपी थी। बाद में मिश्रा सूरत जाकर 500 और नकली इंजेक्शन इंदौर लेकर आया था। थाना प्रभारी ने बताया कि इन 1,200 इंजेक्शनों में से 200 इंजेक्शन पड़ोसी देवास भेजे गए थे, जबकि 500 इंजेक्शन जबलपुर के सपन जैन नामक व्यक्ति को पहुंचाए गए थे।

काजी ने बताया कि मध्य प्रदेश पुलिस की सूचना पर सुनील मिश्रा को गुजरात में वहां की स्थानीय पुलिस हाल ही में गिरफ्तार कर चुकी है। उसके पांच साथियों को इंदौर में गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने बताया कि नकली रेमडेसिविर इंजेक्शनों को मरीजों की मदद के नाम पर सोशल मीडिया पर ग्राहक ढूंढ कर बेचा जाता था और केवल एक इंजेक्शन के बदले 35000 रुपए से 40,000 रुपए वसूले जाते थे।

काजी ने बताया, “हम गुजरात में बने सात नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन इंदौर में बरामद कर चुके हैं। इन सबके पैकेट पर एक ही बैच नंबर दर्ज था। थाना प्रभारी ने बताया कि मध्य प्रदेश पुलिस गुजरात में पकड़े गए आरोपियों को कानूनी प्रक्रिया के तहत इंदौर लाकर उनसे पूछताछ करेगी। स्थानीय स्तर पर भी मामले की विस्तृत जांच जारी है।

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