उत्तराखंड: तपोवन के गर्म पानी से बनेगी बिजली, आइसलैंड के विशेषज्ञों की रिपोर्ट में मिली संभावना

तपोवन के गर्म पानी से बिजली बनाने की योजना पर आइसलैंड के विशेषज्ञों ने सरकार को रिपोर्ट दी है। उन्होंने बताया कि 1980 में किए गए बोरवेल से 77 डिग्री सेल्सियस गर्म पानी निकल रहा है।
अब उत्तराखंड के तपोवन में गर्म पानी से बिजली बनाई जा सकेगी। आइसलैंड की वर्किस कंपनी के विशेषज्ञों ने तपोवन के सभी गर्म पानी के स्रोतों की जांच करने के बाद अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी है। रिपोर्ट में उन्होंने बताया है कि तपोवन क्षेत्र भूतापीय ऊर्जा (जियोथर्मल एनर्जी) से बिजली उत्पादन के लिए उपयुक्त है।
राज्य सरकार ने तपोवन में भूतापीय ऊर्जा से बिजली बनाने के लिए आइसलैंड की वर्किस कंपनी के साथ समझौता किया है। कंपनी के तकनीकी विशेषज्ञों ने यूजेवीएनएल के अधिकारियों के साथ 25 से 27 मार्च के बीच तपोवन और आसपास के इलाकों में संभावित भूतापीय ऊर्जा स्थलों का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने 1980 के दशक में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) द्वारा किए गए ड्रिल वाले गर्म और ठंडे झरनों और भू-तापीय बोरवेल की भी जांच की।
जीएसआई द्वारा किए गए बोरवेल में से एक से हर मिनट 240 से 300 लीटर तक पानी निकल रहा है, जिसका तापमान 77.1 डिग्री सेल्सियस है। विशेषज्ञों की टीम ने इस बोरवेल को बिजली बनाने के लिए सबसे उपयुक्त बताया है। उन्होंने वहां के स्थानीय लोगों से बातचीत भी की और माना कि इस ऊर्जा से ज्योतिर्मठ के करीब 5000 घरों को बिजली दी जा सकती है। अब यह टीम राज्य के 40 गर्म पानी के स्रोतों का अध्ययन करेगी।
किस गर्म पानी के स्त्रोत में क्या मिला
स्त्रोत तापमान पानी का बहाव(लीटर प्रति मिनट)
स्त्रोत | तापमान | पानी का बहाव(लीटर प्रति मिनट) |
बोरवेल-2 | 77.1 | 240-300 |
बोरवेल-3 | 86.5 | 45-60 |
बोरवेल-5 | 55.5 | 0 |
हॉट स्प्रिंग | 1 56.2 | 180-240 |
हॉट स्प्रिंग-2 | 66.1 | 120-180 |
हॉट स्प्रिंग-3 | 70.2 | 60-120 |
हॉट स्प्रिंग | 4 80.9 | 180- |
जहां बिजली नहीं बनेगी, वहां मिलेगा स्पा का आनंदसरकार की योजना है कि तपोवन और अन्य ऐसे स्थान, जहां गर्म पानी तो है लेकिन बिजली नहीं बनाई जा सकती, उन्हें स्पा के रूप में विकसित किया जाएगा। ताकि पहाड़ी ठंडे इलाकों में आने वाले पर्यटक गर्म पानी के स्विमिंग पूल, टूरिस्ट रिज़ॉर्ट और दूसरी सुविधाओं का आनंद ले सकें। इससे भविष्य में एक नए तरह के पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
देश में संभावनाएं अपार
आज दुनिया के 20 देशों, जिनमें अमेरिका (3676 मेगावाट) भी शामिल है, जियोथर्मल एनर्जी से बिजली बना रहे हैं। भारत में भी करीब 15 साल पहले यह अनुमान लगाया गया था कि भू-तापीय ऊर्जा से 10,600 मेगावाट तक बिजली उत्पादन किया जा सकता है।
ऐसे बनती है भू-तापीय ऊर्जा से बिजली
जियोथर्मल क्षेत्रों में जमीन की गहराई तक ड्रिलिंग की जाती है। वहां से निकलने वाली गर्म पानी की भाप से टरबाइन चलाकर बिजली बनाई जाती है। भाप बनने के बाद जो पानी बचता है, उसे फिर से जमीन के अंदर भेज दिया जाता है।