देहरादून: दाखिल-खारिज कराने के लिए प्रॉपर्टी डीलर ने नगर निगम के रिकॉर्ड रूम से की रजिस्टर चोरी

एसएसपी के अनुसार, कुलदीप एक प्राइवेट कंपनी में नियुक्त है। उसे चार मई की रात नगर निगम कार्यालय के बाहर तैनात रखा गया था, ताकि यदि कोई असामान्य घटना हो तो वह तुरंत सूचित कर दे। घटना की रात आरोपियों ने नगर निगम के पिछला द्वार पार करके प्रवेश किया, फिर वहाँ रखी सीढ़ियों से ऊपर चढ़कर भंडारण कक्ष तक पहुंचे और एक बड़े स्क्रूड्राइवर से ताला तोड़कर कक्ष में घुस गए।

एक व्यक्ति की जमीन का दाखिल-खारिज खुद कराने के इरादे से एक प्रॉपर्टी डीलर ने नगर निगम के रिकॉर्ड रूम से रजिस्टर चुरा लिया था। पुलिस ने आरोपी रविंद्र राणा को, जो सहारनपुर के सावलपुर नवादा का रहने वाला है, गिरफ्तार कर लिया है। उसने अपने भाई के साथ मिलकर इस चोरी को अंजाम दिया। हालांकि, वह जिस रजिस्टर को चुराना चाहता था, उसकी जगह गलती से कोई और रजिस्टर उठा लिया।

पुलिस ने वह रजिस्टर भी आशारोड़ी के जंगल से बरामद कर लिया है। इस चोरी में शामिल आरोपी का भाई और बाहर निगरानी कर रहा एक अन्य युवक अभी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। दोनों की तलाश जारी है। एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि चार मई को नगर निगम के रिकॉर्ड रूम से रजिस्टर चोरी होने की शिकायत मिली थी। इसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी।

इस मामले में पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज भी जुटाए। इन्हीं फुटेज के आधार पर आरोपियों की पहचान के लिए अभियान चलाया गया। इसी दौरान कोतवाली पुलिस ने रविवार को हुलिए के आधार पर रविंद्र राणा को पकड़ा। पूछताछ में रविंद्र ने बताया कि वह एलएलबी के अंतिम वर्ष का छात्र है और साथ ही प्रॉपर्टी डीलिंग का काम भी करता है।

रविंद्र की मुलाकात प्रवीण रावत नाम के एक व्यक्ति से हुई थी। प्रवीण, दिल्ली के रहने वाले राजकिशोर की राजपुर रोड पर स्थित जमीन को बेचना चाहता था। लेकिन दस्तावेजों में कुछ गड़बड़ी होने की वजह से जमीन का दाखिल-खारिज राजकिशोर के नाम पर नहीं हो पा रहा था। इसके बाद राजकिशोर ने इस मामले में मदद के लिए रविंद्र से संपर्क किया।

घटना की रात दोनों नगर निगम के पिछले दरवाजे से दाखिल हुए

राजकिशोर ने रविंद्र से कहा कि अगर वह जमीन का दाखिल-खारिज करवा देगा तो उसे दो प्रतिशत कमीशन दिया जाएगा। इसके अलावा, पूरी जमीन का भुगतान पांच हजार रुपये प्रति गज की दर से किया जाएगा। यह सुनकर रविंद्र ने काम करवाने की कोशिशें शुरू कर दीं। उसने कई बार दफ्तर के चक्कर लगाए, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद उसने खुद ही रजिस्टर चोरी कर दाखिल-खारिज कराने का फैसला कर लिया। इसके लिए उसने नगर निगम के स्टोर रूम से 27 बटे 27 नंबर का रजिस्टर चुराने की योजना बनाई।

इस काम को अंजाम देने के लिए रविंद्र ने अपने भाई योगेश को साथ मिलाया और अपने रिश्तेदार कुलदीप को भी योजना में शामिल किया। एसएसपी के अनुसार, कुलदीप एक निजी कंपनी में काम करता है। चार मई की रात उसे नगर निगम के बाहर निगरानी के लिए खड़ा किया गया था, ताकि कोई संदिग्ध हलचल हो तो वह तुरंत जानकारी दे सके। उसी रात रविंद्र और योगेश नगर निगम के पिछले दरवाजे से अंदर घुसे। वहां रखी सीढ़ी की मदद से वे स्टोर रूम तक पहुंचे और एक बड़े पेचकस से ताला तोड़कर अंदर दाखिल हो गए।

वहां काफी तलाशने के बाद भी उन्हें मनचाहा रजिस्टर नहीं मिला। इसके बाद उसका भाई योगेश रजिस्टर ढूंढने लगा। उसे एक रजिस्टर हाथ लगा, लेकिन वह बकराल वाला क्षेत्र से जुड़ा हिसाब-किताब का रजिस्टर था। जब वह उसे वापस रखने की कोशिश कर रहा था, तभी वहां एक महिला आ गई।

इस पर दोनों भाई वह रजिस्टर लेकर मौके से निकल गए। उन्होंने उसे एक पन्नी में लपेटा और जाकर आशारोड़ी के जंगलों में फेंक दिया। एसएसपी ने बताया कि पुलिस ने वह रजिस्टर बरामद कर लिया है। फिलहाल योगेश और कुलदीप की तलाश जारी है। साथ ही प्रवीण रावत और राजकिशोर की इस मामले में क्या भूमिका रही, इसकी भी जांच की जा रही है।